G-B7QRPMNW6J पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
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पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम

Jyotish With AkshayG

पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम

पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम 

मान्यता है कि ये 15 दिन पितृ धरती पर अपने वंशजों के बीच रहते हैं. उनके द्वारा किए गए पिंडदान, तर्पण आदि से उनकी आत्मा तृप्त होती है और इससे प्रसन्न होकर वे वंशजों को आशीर्वाद देकर अपने लोक वापस लौट जाते हैं. 

(इससे पितृ दोष भी समाप्त होता है)

पितृ पक्ष में किन-किन स्वरूपों में पितृ देते है दर्शन श्राद्ध पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम 

शास्त्रों के अनुसार पितरों की मृत्युतिथि के आधार पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पिंडदान पितरों तक सीधा पहुंच जाता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. और वंशजों पर कृपा बनी रहती है. इस दौरान पितर कई रूपों में घर पर दर्शन देते हैं. पितृ पक्ष में मनुष्य से लेकर पक्षी तक के रूप में पितृ घर पर आते हैं. ऐसे में गलती से भी उनक अपमान न करें. ऐसा करने से उनकी आत्मा दुखी होगी और वे नाराज होकर वापस लौट जाएंगे. 

गरीब- श्राद्ध के दिनों में गरीबों को खाना खिलाने की परंपरा है. पितृ पक्ष के दौरान अगर आपके दरवाजे कोई भी गरीब आता है, तो उसे कभी भी भूखा या खाली पेट न लौटाएं. कहते हैं कि पितर आपके पास किसी भी रूप में आ सकते हैं. ऐसे में घर के बाहर आए गरीब को अच्छे से भोजन कराएं. साथ ही, कुछ दान-दक्षिणा देकर विदा करें.

कुत्ता-गाय- बिल्ली

शास्त्रों के अनुसार कुत्ते को यम का दूत कहा जाता है।पितृ पक्ष में पंचबली भोग में कुत्ते और गाय के नाम का भोग भी निकाला जाता है। वहीं अगर आपके घर इस मौके पर कुत्ता आ जाए तो बहुत अच्छा माना जाता है। कहा जाता है की अगर कुत्ता रास्ते में भी दिख जाए तो इन्हें कभी मारकर भगाना नहीं चाहिए। कुछ न कुछ खाने को जरूर देना चाहिए। इससे पितृ गण की आत्मा को शांति मिलती है। वहीं पितृ पक्ष में गाय की सेवा करने से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। साथ ही पितर में बिल्लियों को भी दूध का कुछ खाने के लिए देना चाहिए। 

कौए- 

ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में कौए को भी भोजन कराया जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. बिना कौए को भोजन कराए पितरों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता. शास्त्रों के अनुसार कौए को पितरों का रूप माना जाता है. कौए की सेवा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिजनों को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं. 

(इससे पितृ दोष भी समाप्त होता है, कौए शनि देव का वाहन भी है)

 जानते हैं पितृपक्ष में कौए को क्यों दिया जाता है अन्न और जल। क्या है इसका महत्व।

गरुड़ पुराण में क्या बताया गया है।

श्राद्ध के समय लोग अपने पूर्वजों को याद करके यज्ञ करते हैं और कौए को अन्न जल अर्पित करते हैं। दरअसल, कौए को यम का प्रतीक माना जाता है। गरुण पुराण के अनुसार, अगर कौआ श्राद्ध को भोजन ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही ऐसा होने से यम भी खुश होते हैं और उनका संदेश उनके पितरों तक पहुंचाते है।

गरुण पुराण में बताया गया है कि कौवे को यम का वरदान प्राप्त है। यम ने कौवे को वरदान दिया था तुमको दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा। पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ साथ कौवे को भोजन करना भी बेहद जरूरी होता है। कहा जाता है कि इस दौरान पितर कौवे के रूप में भी हमारे पास आ सकते हैं।

इसको लेकर एक और मान्यता प्रचलित है कहा जाता है कि एक बार कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी। इसे देखकर श्री राम ने अपने बाण से उसकी आंखों पर वार कर दिया और कौए की आंख फूट गई। कौवे को जब इसका पछतावा हुआ तो उसने श्रीराम से क्षमा मांगी तब भगवान राम ने आशीर्वाद स्वरुप कहा कि तुमको खिलाया गया भोजन पितरों को तृप्त करेगा। भगवान राम के पास जो कौवा के रूप धारण करके पहुंचा था वह देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवे को भोजन खिलाने का विशेष महत्व है।

श्राद्ध पक्ष के दौरान दूसरों के घर का खाना भी नहीं खाना चहिए, ये अशुद्ध माना जाता है

1.पितृपक्ष में कभी भी लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन्हें नकारात्मक प्रभाव का माना गया है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीतल, कांसा व पत्तल की थाली व पात्र का प्रयोग करना चाहिए।

2.पितृपक्ष में श्राद्ध क्रिया करने वाले व्यक्ति को पान, दूसरे के घर का खाना और शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि पान को व्यासना से जोड़ा गया है। जबकि दूसरे के घर का खाना शुद्ध न होने से इसे नहीं खाना चाहिए।

3.पितृ पक्ष के समय कुत्ता, बिल्ली, कौवा आदि पशु-पक्षियों को भोजन खिलाना चाहिए। माना जाता है कि पितृ गढ़ इन्हीं में से किसी का रूप धारण करके आते हैं। श्राद्ध पक्ष में कभी पितरों को भोजन दिए बिना खुद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, इससे पितृ दोष लगता है।

4.श्राद्ध पक्ष के दौरान कभी भी भिखारी व जरूरतमंद का अपमान न करें और न ही उसे खाली हाथ जानें दें। क्योंकि कई बार पितृ गढ़ ऐसे भेष में भी आ सकते हैं।

5.श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोजन अर्पित किया जाता है। इसलिए गृहणियां इसे बनाती हैं। मगर ध्यान रहे कि वो इसे न तो चखे और न ही खाएं। क्योंकि उन्हें श्राद्ध क्रिया करने का अधिकार नहीं है।

5.पितृ पक्ष पर चतुर्दशी को श्राद्ध क्रिया नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन को फलदायी नहीं माना जाता है। हालांकि जिन लोगों की मृत्यु इसी तिथि में हुई है, सिफ वो ही इस दिन कर्मकांड कर सकते हैं।

6.पितृ पक्ष के दौरान घर आए मेहमान को कभी बिना खिलाएं नहीं जाने देना चाहिए। क्योंकि ये पितरों का भी रूप लेकर आ सकते हैं। इसलिए उन्हें पानी जरूर पिलाएं। ऐसा करने से आपके दोष मिटेंगे। 

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