श्रावण मास में किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार
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श्रावण मास में किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार |
महाशिवरात्रि में रुद्राभिषेक मनोवांछित अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला तथा परम ल्याणकारी है। देवों-के-देव महादेव की प्रसन्नता की कामना लिये हुए जो मनुष्य रुद्राभिषेक को करते हैं उनका अभीष्ट मनोरथ पूर्ण होता है जेसे कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है। तथा वे हमेशा-हमेशा के लिया शिव-सानिध्यता को प्राप्त कर लेते हैं।
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
।। शिव जी का वास।।
वर्तमान तिथि की सख्या को दुगना करके उसमे 5 जोड़ कर 7 का भाग दे कर यदि शेष
1 बचे तो शिव जी का निवास कैला्य मे = शुभ
2 बचे तो शिव जी का निवास गौरी के समीप मे = शुभ
3 बचे तो शिव जी का निवास वृषारुढ़ = शुभ
4 बचे तो शिव जी का निवास निद्रा मे गौरी के समीप = समान
5 बचे तो शिव जी का निवास ज्ञान वेला मे =
शुभ
6 बचे तो शिव जी का निवास क्रिडा मे =
दुःख
0 या 7 बचे तो शिव जी
का निवास शमशान मे =
त्यागना
उपरोक्त को शिव जी
की पूजादि मे प्रभु का वास पृथ्वी पर देखते है |
रुद्राभिषेक करने की तिथियां
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए
रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथि में रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी तथा शुक्लपक्ष की पंचमी व द्वादशी तिथियों में भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर होते हैं और उनकी अनुकंपा से परिवार में आनंद-मंगल होता है।
कृष्णपक्ष की पंचमी, द्वादशी तथा शुक्लपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी तिथियों में महादेव नंदी पर सवार होकर संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते है। अत: इन तिथियों में रुद्राभिषेक करने पर अभीष्ट सिद्ध होता है।
कृष्णपक्ष की सप्तमी, चतुर्दशी तथा शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, पूर्णिमा में भगवान महाकाल श्मशान में समाधिस्थ रहते हैं। अतएव इन तिथियों में किसी कामना की पूर्ति के लिए किए जाने वाले रुद्राभिषेक में आवाहन करने पर उनकी साधना भंग होती है जिससे अभिषेककर्ता पर विपत्ति आ सकती है।
कृष्णपक्ष की द्वितीया, नवमी तथा शुक्लपक्ष की तृतीया व दशमी में महादेव देवताओं की सभा में उनकी समस्याएं सुनते हैं।
इन तिथियों में सकाम अनुष्ठान करने पर संताप या दुख मिलता है।
कृष्णपक्ष की तृतीया, दशमी तथा शुक्लपक्ष की चतुर्थी व एकादशी में सदाशिव क्रीडारत रहते
हैं। इन तिथियों में सकाम रुद्रार्चन संतान को कष्ट प्रदान करते है।
कृष्णपक्ष की षष्ठी, त्रयोदशी तथा शुक्लपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी में रुद्रदेव भोजन करते
हैं। इन तिथियों में सांसारिक कामना से किया गया रुद्राभिषेक पीडा देते हैं।
ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा
शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है। वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका
कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अतः हम यह कह सकते
हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं। स्वयं श्रृष्टि कर्ता
ब्रह्मा ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक
को ग्रहण करते है। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नही है जो हमें
रुद्राभिषेक से प्राप्त न हो सके।
जानते हैं किस कामना के लिए कैसा फूल शिव को अर्पित करें –
- वाहन सुख के लिए चमेली का फूल।
- दौलतमंद बनने के
लिए कमल का फूल, शंखपुष्पी
या बिल्वपत्र।
- विवाह में समस्या
दूर करने के लिए बेला के फूल। इससे योग्य वर-वधू मिलते हैं।
- पुत्र प्राप्ति
के लिए धतुरे का लाल फूल वाला धतूरा शिव को चढ़ाएं। यह न मिलने पर सामान्य धतूरा
ही चढ़ाएं।
- मानसिक तनाव दूर करने के लिए शिव को शेफालिका के फूल चढ़ाएं।
- जूही के फूल को अर्पित करने से अपार अन्न-धन की कमी नहीं होती।
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अगस्त्य के फूल से शिव पूजा करने पर पद, सम्मान मिलता है।
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शिव पूजा में कनेर के फूलों के अर्पण से वस्त्र-आभूषण की इच्छा पूरी होती
है।
- लंबी आयु के लिए
दुर्वाओं से शिव पूजन करें।
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सुख-शांति और मोक्ष के लिए महादेव की तुलसी के पत्तों या सफेद कमल के
फूलों से पूजा करें।
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