सावन में रुद्रभिषेक का महत्त्व और अलग-अलग द्रव्य धाराओं से शिव अभिषेक का फल
![]() |
सावन में रुद्रभिषेक का महत्त्व और अलग-अलग द्रव्य धाराओं से शिव अभिषेक का फल |
धरती पर
शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्शन को स्वयं
महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिरों में
और घरों में स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं. शिव आराधना की सबसे महत्वपूर्ण
पूजा विधि रूद्राभिषेक को माना जाता है. क्योंकि मान्यता है कि जल की धारा भगवान
शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से हुई है रूद्रभिषेक की उत्पत्ति. रूद्र यानी
भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से
महादेव के अभिषेक की विधि सदियों पुरानी है क्योंकि मान्यता है कि भोलभंडारी भाव
के भूखे हैं. वह जल के स्पर्श मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. वो पूजा विधि जिससे
भक्तों को उनका वरदान ही नहीं मिलता बल्कि हर दर्द हर तकलीफ से छुटकारा भी मिल
जाता है.
साधारण रूप से
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं
की पूर्ति के लिए दूध,
दही,
घी,
शहद,
चने की दाल,
सरसों तेल,
काले तिल,
आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचिलत है. अभिषेक के
दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय
मंत्र का जाप हो,
गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र.
इन धाराओं को अर्पण करते समय महामृत्युंज मंत्र, गायत्री मंत्र, रुद्र मंत्र, पंचाक्षरी मंत्र, षडाक्षरी मंत्र जरुर बोलना चाहिए।
![]() |
सावन में रुद्रभिषेक का महत्त्व और अलग-अलग द्रव्य धाराओं से शिव अभिषेक का फल |
जानते हैं अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल
जल की धारा शिवजी को अति प्रिय है।
Ø
जब किसी का मन
बेचैन हो, निराशा
से भरा हो, परिवार
में कलह हो रहा हो, अनचाहे
दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है।
इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।
Ø
वंश की वृद्धि के
लिए शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें।
Ø
शिव पर जलधारा से
अभिषेक मन की शांति के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।
Ø
भौतिक सुखों को
पाने के लिए इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।
Ø
सभी धाराओं से
श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत
प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।
Ø
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
Ø
तीर्थां के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्वर को शांत करने के लिए जल की धार से अभिषेक करना चाहिए।
Ø
दूध से अभिषेक करने पर पुत्र की प्राप्ति होती है। प्रमेह रोग का नाश होता है। मनोभिलाषित कामना की पूर्ति होती है।
Ø शक्कर से मिले दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि की जडता का नाश होता है एवं बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
Ø गोदुग्ध द्वारा अभिषेक करने पर वन्ध्या को पुत्र की प्राप्ति होती है एवं जिसकी संतान होकर मर जाती हैं उसकी संतान की रक्षा होती है।मनुष्य को दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है।
Ø
दही से अभिषेक करने पर पशुओं की प्राप्ति होती है।
Ø
घी से अभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है। इससे आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।
Ø
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर पापों का नाश होता है। तपेदिक आदि रोग भी दूर हो जातें है।
Ø
शहद एवं धी से अभिषेक करने पर धन की प्राप्ति होती है।
Ø
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
Ø
कुशोदक से अभिषेक करने पर व्याधि की शांति होती है। इससे उपद्रवों कि शांति भी होती है।
Ø सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रुका विनाश होता है।
![]() |
सावन में रुद्रभिषेक का महत्त्व और अलग-अलग द्रव्य धाराओं से शिव अभिषेक का फल |
जानते हैं किस अन्न के चढ़ावे से कैसी कामना पूरी होती है –
Ø
शिव पूजा में
गेंहू से बने व्यंजन चढ़ाने पर कुंटुब की वृद्धि होती है।
Ø
मूंग से शिव पूजा
करने पर हर सुख और ऐश्वर्य मिलता है।
Ø
चने की दाल
अर्पित करने पर श्रेष्ठ जीवन साथी मिलता है।
Ø
कच्चे चावल
अर्पित करने पर कलह से मुक्ति और शांति मिलती है।
Ø
तिलों से शिवजी
पूजा और हवन में एक लाख आहुतियां करने से हर पाप का अंत हो जाता है।
Ø
उड़द चढ़ाने से
ग्रहदोष और खासतौर पर शनि पीड़ा शांति होती है।
||रुद्राभिषेक
के लाभ ||
वैसे तो रुद्रभिषेक के बहुत सारे लाभ हैं । जिनमे कुछ निम्न प्रकार से हैं
Ø भगवान शिव चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करते हैं । चंद्रमा ज्योतिष मे
मन का कारक है । किसी भी प्रकार के मानसिक समस्या को दूर करने मे रुद्रभिषेक सहायक
सिद्ध होता है। चंद्रमा को जब क्षय रोग हुआ था तो सप्तऋषि ने रुद्रभिषेक किया था ।
चंद्रमा के पीड़ित होने से क्षय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। यह ज्योतिषीय नियम
है की कुंडली मे अगर चंद्रमा पाप गृह से पीड़ित हो तो क्षय रोग होने की संभावना बढ़
जाती है। अगर कोई इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित है तो रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद
होता है।
Ø गंभीर किस्म के बीमारियों को दूर करने हेतु एवं उनके होने से बचने
हेतु रुद्रभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।
Ø कुंडली मे मौजूद ग्रह अगर मारक प्रभाव दिखा रहे हों तो उनके
दुष्प्रभाव को दूर करने हेतु रुद्रभिषेक करना लाभदायक होता है
Ø घर का कोई व्यक्ति नकारात्मक बाते करने लगा हो। घर की शांति मे बाधा आ
रही हो । आस पड़ोस के लोगो से झगड़ा निरंतर चल रही हो ।
Ø मुकदमे मे विजय प्राप्ति हेतु
Ø धन की प्राप्ति हेतु। स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु
Ø अकाल मृत्यु से बचने हेतु। दुर्घटना से बचने हेतु
Ø शत्रु से छुटकारा पाने हेतु। शत्रु से शत्रुता नष्ट हो जाएगी।
Ø घरेलू समस्या से छुटकारा हेतु। एवं घर मे शांति हेतु
Ø नशे से मुक्ति एवं माता का स्वस्थ्य संबंधी समस्या एवं उनके साथ हो रहे मनमुटाव दूर करने के लिए रुद्रभिषेक करना रामबाण साबित होगा।
0 टिप्पणियाँ