लाल-पीले रंग का कलावा क्यों बांधा जाता है कलाई पर तीन बार लपटने के पीछे है ये वजह
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शास्त्रों के अनुसार कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी.कलावा मात्र एक धागा नहीं बल्कि रक्षा सूत्र है. माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है.
क्यों बांधा जाता है लाल-पीले रंग का कलावा, कलाई पर तीन बार लपटने के पीछे है ये वजह
भारतीय संस्कृति कोई भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ या कर्मकांड में कलावा बांधने की परंपरा है.कई जगहों पर कलावा को मौली से भी जाना जाता है. कलावा लाल,पीले और हर रंग का होता है.इसमें हर रंग का अपना महत्व होता है.कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों महत्व है.आइए आपको बताते हैं कलावा बांधने के फायदे और किसने की थी इस परंपरा की शुरुआत.
शास्त्रों के अनुसार कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी.कलावा मात्र एक धागा नहीं बल्कि रक्षा सूत्र है. माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है.
जिस हाथ में कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरे हाथ को सिर पर रखना चाहिए. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखे कि मौली को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए.
मान्यता है कि मौली में देवी या देवता अदृश्य रूप में विराजमान रहते हैं.शास्त्रों में बताया गया है कि नियम के अनुसार कलावा कलाई पर सिर्फ तीन बार लपेटा जाता है. ऐसा करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का तीनों का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती तीनों देवियों की अनुकूलता का भी लाभ मिलता है.
कलावा बांधते समय एक मंत्र भी बोला जाता है –
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
कलावा पहनने से आपको ग्रहों को भी मजबूती मिलती है. लाल रं.ग का कलावा पहनने के मायने है मंगल ग्रह की मजबूती. बृहस्पति का शुभ रंग है पीला, पीला कलावा इस ग्रह को मजबूत करते है जिससे जीवन में सुख-शांति आती है.
वेदों में भी कलावा बांधने के बारे में बताया गया है. इंद्र जब वृत्रासुर से युद्ध के लिए जा रहे थे तब इंद्राणी ने इंद्र की रक्षा के लिए उनकी दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र बांधा था. जिसके बाद वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने.
कलावा बांधने का वैज्ञानिक महत्व
शरीर के ज्यादातर अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती हैं। इससे वात, पित्त और कफ की बीमारी नहीं होती.ब्लड प्रेशर, हार्ट एटेक, डायबीटिज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिये मौली बांधना हितकर बताया गया है.
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