G-B7QRPMNW6J Aaj ka Vedic Panchang: आज दिनांक - 07 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
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Aaj ka Vedic Panchang: आज दिनांक - 07 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग

Jyotish With AkshayG
Aaj ka Vedic Panchang
Aaj ka Vedic Panchang

*🌞~ आज दिनांक - 07 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिन - गुरुवार*

*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी प्रातः 04:13 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - वरियान सुबह 08:24 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:19 से 03:48 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:56*
*⛅सूर्यास्त - 06:46*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:18 से 06:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:26 से 01:15 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:27 से 01:14*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विजया एकादशी (भागवत)*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹विजया एकादशी - 06 मार्च 2024🌹*

*🌹जो मनुष्य इस विधि से व्रत करते हैं, उन्हें इस लोक में विजय प्राप्त होती है और उनका परलोक भी अक्षय बना रहता है ।*
 *इस प्रसंग को पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।*

*🌹महाशिवरात्रि (08 मार्च)व्रत महिमा🌹*

*🌹एक बार कैलास पर्वत पर पार्वतीजी ने भगवान शंकर से पूछा : 'हे भगवन् ! धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इस चतुर्वर्ग के आप ही हेतु हैं । साधना से संतुष्ट हो आप ही इसे मनुष्य को प्रदान करते हैं। (अतः यह जानने की इच्छा होती है कि) किस कर्म, व्रत या तपस्या से आप प्रसन्न होते हैं ?'*

*🌹भगवान शंकर ने कहा : 'फाल्गुन (गुजरात-महाराष्ट्र में माघ) के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को आश्रय करके जिस अंधकारमयी रजनी का उदय होता है, उसीको 'शिवरात्रि' कहते हैं । उस दिन जो उपवास करता है वह निश्चय ही मुझे संतुष्ट करता है । उस दिन उपवास करने पर मैं जैसा प्रसन्न होता हूँ, वैसा स्नान, वस्त्र, धूप और पुष्प के अर्पण से भी नहीं होता ।'*

*🌹'स्कन्द पुराण' में आता है : शिवरात्रि व्रत परात्पर है । जो जीव इस शिवरात्रि में महादेव की पूजा भक्तिपूर्वक नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्मचक्रों में घूमता रहता है ।'*

*🌹'चाहे सागर सूख जाय, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाय, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जायें पर शिवव्रत कभी विचलित (निष्फल) नहीं हो सकता ।*

*🌹पद्म पुराण' में आता है : 'चाहे सूर्यदेव का उपासक हो, चाहे विष्णु का या अन्य किसी देव का, जो शिवरात्रि का व्रत नहीं करता उसको फल की प्राप्ति नहीं होती ।'*

*🌹शिवरात्रि व्रत' का अर्थ है : 'शिव की वह प्रिय (आनंदमयी) रात्रि, जिसके साथ व्रत का विशेष सम्बन्ध है वह व्रत 'शिवरात्रि व्रत' कहलाता है ।*

*🌹इस व्रत का प्रधान अंग उपवास ही है । फिर भी रात्रि के चार प्रहरों में चार बार पृथक् पृथक् पूजा का विधान भी है ।*

*दुग्धेन प्रथमे स्नानं दध्ना चैव द्वितीयके।*
*तृतीये तु तथाऽऽज्येन चतुर्थे मधुना तथा ।।*

*🔸 'प्रथम प्रहर में दुग्ध द्वारा, द्वितीय प्रहर में दही द्वारा, तृतीय प्रहर में घृत द्वारा तथा चतुर्थ प्रहर में शहद द्वारा शिवमूर्ति को स्नान कराकर उनका पूजन करना चाहिए ।'*
*🔸प्रत्येक प्रहर में पूजन के समय निम्न मंत्र बोलकर प्रार्थना करनी चाहिए :*
*तव तत्त्वं न जानामि कीदृशोऽसि महेश्वरः ।*
*यादृशोऽसि महादेव तादृशाय नमो नमः ।।*

*🔸'प्रभो ! हमारा कल्याण किसमें है और अकल्याण किसमें है, हम इसका निर्णय करने में असमर्थ हैं । इस तत्त्व को समझने का सामर्थ्य हममें नहीं है । आप क्या हैं, कैसे हैं यह भी हम नहीं जानते । वेदशास्त्रों में आपके जिस स्वरूप, गुण, कर्म, स्वभाव का वर्णन है वह भी हम नहीं जानते । आप जो कुछ भी हों, जैसे भी हों, आपको प्रणाम हैं ।'*
*🔸प्रभातकाल में विसर्जन के बाद व्रत-कथा सुनकर अमावस्या को यह कहते हुए पारण करना चाहिए :*
*🔸'हे भगवान शंकर ! मैं नित्य संसार की यातना से दग्ध हो रहा हूँ । इस व्रत से आप मुझ पर प्रसन्न हों । हे प्रभो ! संतुष्ट होकर आप मुझे ज्ञानदृष्टि प्रदान करो ।'*

*🔸'ईशान संहिता' में आता है : 'महाशिवरात्रि व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है । इस व्रत के अधिकारी चाण्डाल तक सभी मनुष्य-प्राणी हैं, जिन्हें यह व्रत भुक्ति व मुक्ति दोनों ही प्रदान करता है ।'*

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