Holi 2024: एरच से शुरू हुई थी होलिका दहन की परंपरा
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मौजूद भारतीय 25 मार्च को होली का जश्न मनाएंगे. होली पर रंगों की बौछार होगी तो लोग एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं. बता दें कि सनातन धर्म में हर त्योहार के पीछे एक पौराणिक था है. इसी तरह होली को लेकर भी एक कथा सुनी-सुनाई जाती है. इसे धर्म की अधर्म पर जीत के तौर पर मनाया जाता है. इस कहानी के तीन प्रमुख पात्र विष्णु भक्त प्रह्लाद, उनके पिता हिरण्यकश्प और बुआ होलिका है.
उत्तरप्रदेश में झाँसी से लगभग 82 किलोमीटर स्थित एरच नामक कस्बा वह स्थान है, जहाँ भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उनकी बुआ होलिका ने अग्निदाह किया था। मान्यता के अनुसार एरच ही पुराणों में वर्णित एरिकच्छ है, जो हिरण्यकशिपु की राजधानी थी। एरच को ही प्रह्लाद नगरी के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ ऐसे कई साक्ष्य मिलते हैं, जिनसे पता लगता है कि इस स्थान का सम्बन्ध हिरयण्कशिपु, होलिका एवं भक्त प्रह्लाद से है।
Holi 2024 होलिका की मूर्ति
एरच में खुदाई में एक मूर्ति मिली है, जो स्थानीय मान्यता के अनुसार होलिका की है। इस मूर्ति में एक महिला की आकृति है, जिसकी गोद में एक शिशु है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यह होलिका और भक्त प्रह्लाद की मूर्ति निर्माण है तथा पाँच हजार वर्ष पुरानी है। वर्तमान में यह प्रतिमा उस जगह स्थापित की गई है, जहाँ वास्तव में होलिका का दहन हुआ था। यहाँ मंगलवार को विशेष पूजा की जाती है।
Holi 2024 अग्निकुण्ड
यहाँ एक अग्निकुण्ड भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी कुण्ड में होलिका ने प्रह्लाद को जलाने का प्रयास किया था। स्थानीय मान्यता है कि होली के दिन इस कुण्ड को नमन करने और यहाँ पर नाक रगड़ने से मनोकामना पूर्ण होती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि ऐसा कई लोगों के साथ हुआ है।
Holi 2024 प्रह्लाद कुण्ड या प्रह्लाद द्यौ
एरच के समीप एक पहाड़ी है, जिसे ढीकाचल कहा जाता है। इसके समीप ही बेतवा नदी बहती है। मान्यता है कि यही वह पहाड़ी है, जहाँ से भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकशिपु ने बेतवा नदी में फिंकवा दिया था। सर्वविदित है कि इससे भी भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। नदी के जिस भाग में भक्त प्रह्लाद को डुबोने का प्रयास किया गया था। उसे प्रह्लाद कुण्ड या प्रह्लाद द्यौ कहा जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस कुण्ड का पानी सूखता नहीं है। भले ही बेतवा नदी में पानी नहीं हो।
Holi 2024 होलिका की होती है पूजा
एरच में होलिका के सम्बन्ध में अलग मान्यताएँ हैं। स्थानीय मान्यता है कि होलिका ही एरच की रक्षा करती हैं। इसलिए एरच को अब तक न आग जला पायी और न ही बेतवा नदी की बाढ़ में यह डूबा। स्थानीय महिलाएँ होलिका दहन में अब भी नहीं जातीं। उनका मानना है कि एरच के लिए होलिका बेटी के समान है।
Holi 2024 डिकौली गांव का वह स्थान जहां से प्रहलाद को नदी में फेंक दिया गया था।
मान्यता है कि जहां आज प्रह्लादपुरी मंदिर है, वहीं पर हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को खंभे से भी बांधा था. यही पर भगवान नरसिंह ने खंभे से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का भी वध किया था.
(Disclaimer - The information given in this article has been collected from various mediums like Panchang, beliefs, or religious scriptures and has been brought to you. Our aim is only to provide information. For accurate and correct decisions, consult the concerned expert as per your horoscope. must take.)
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