G-B7QRPMNW6J Hindu Vrat -Tyauhaa में चन्द्र तिथि के कारण तारीख परिवर्तन का विज्ञान
You may get the most recent information and updates about Numerology, Vastu Shastra, Astrology, and the Dharmik Puja on this website. **** ' सृजन और प्रलय ' दोनों ही शिक्षक की गोद में खेलते है' - चाणक्य - 9837376839

Hindu Vrat -Tyauhaa में चन्द्र तिथि के कारण तारीख परिवर्तन का विज्ञान

Jyotish With AkshayG

Sunrise
Hindu Vrat -Tyauhaa में तारीख परिवर्तन का विज्ञान 

अमावस्या से शुक्लपक्ष की तिथियों:-

तिथियाँ शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से गिनी जाती है. पूर्णिमा को 15 तथा अमावस्या को 30 तिथि कहते हैं. जिस दिन सूर्य व चन्द्रमा में 180º का अन्तर (दूरी) होता है अर्थात सूर्य व चन्द्र आमने सामने होते हैं तो वह पूर्णिमा तिथि कहलाती है. और जब सुर्य व चन्द्रमा एक ही स्थान पर होते हैं अर्थात 0º का अन्तर होता है तो अमावस्या तिथि कहलाती है. भचक्र का कुलमान 360º है, तो एक तिथि=360»30=12º अर्थात सूर्य-चन्द्र में 12º का अन्तर पडने पर एक तिथि होती है.

भारतीय ज्योतिष में तिथि की वृद्धि एंव तिथि का क्षय:-

उदाहरण स्वरुप 0º से 12º तक प्रतिपदा (शुक्ल पक्ष) 12º से 24º तक द्वितीय तथा 330º से 360º तक अमावस्या इत्यादि. भारतीय ज्योतिष की परम्परा में तिथि की वृद्धि एंव तिथि का क्षय भी होता है. जिस तिथि में दो बार सूर्योदय आता है वह वृद्धि तिथि कहलाती है तथा जिस तिथि में एक भी सूर्योदय न हो तो उस तिथि का क्षय हो जाता है. उदाहरण के लिए एक तिथि सूर्योदय से पहले प्रारम्भ होती है तथा पूरा दिन रहकर अगले दिन सूर्योदय के 2 घंटे पश्चात तक भी रहती है तो यह तिथि दो सूर्योदय को स्पर्श कर लेती है. इसलिए इस तिथि में वृद्धि हो जाती है.इसी प्रकार एक अन्य तिथि सूर्योदय के पश्चात प्रारम्भ होती है तथा दूसरे दिन सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है, क्योंकि यह तिथि एक भी सूर्योदय को स्पर्श नहीं करती अतः क्षय होने से तिथि क्षय कहलाती है।

तिथि के आधार पर निश्चित व्रत या त्यौहार:-

ज्योतिष में, एक तिथि एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो चंद्र दिवस या चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तिथि को चिह्नित करती है। लगातार दो सूर्योदय होने पर एक तिथि पूर्ण मानी जाती है। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई तिथि सूर्योदय से पहले प्रारंभ होकर अगले दिन सूर्योदय के 2 घंटे बाद तक पूरे दिन तक चलती है तो यह तिथि दो सूर्योदयों को छूती है।

अतः सूर्योदय के समय जो तिथि स्पर्श करती है वह ही पूरे दिन होती है | उस दिन उस तिथि को ही निश्चित व्रत या त्यौहार किया जाता है |

ऐसी स्थिति का महत्व यह है कि यह अक्सर ज्योतिष में की गई भविष्यवाणियों पर प्रभाव डाल सकती है। कुछ मामलों में, यह भाग्य या नियति में बदलाव का सुझाव दे सकता है जबकि अन्य मामलों में इसका मतलब कुछ और हो सकता है जो पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार की भविष्यवाणी की जा रही है। इससे यह समझ में आता है कि सभी ज्योतिषियों के लिए तिथियां कई सूर्योदयों के साथ कैसे बातचीत करती हैं।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...