36 साल के बाद इस वर्ष बेहद शुभ और विशिष्ट योग में मनाई जायेगी करवा चौथ
36 साल के बाद इस वर्ष बेहद शुभ और विशिष्ट योग में मनाई जायेगी करवा चौथ |
13 अक्टूबर की शाम को शाम 6 बजकर 41 मिनट तक कृतिका नक्षत्र रहेगा| जिसके बाद रोहिनी नक्षत्र आरंभ होगा. इसके साथ ही ज्योतिषनुसार करवाचौथ के दिन चंद्र देव वृष राशि में संचार करेंगे. इस गोचर और रोहिणी नक्षत्र के संयोग को ही करवाचौथ के दिन बेहद शुभ माना जा रहा है जो व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए भी अच्छा साबित होगा. ऐसे में इस दिन पूजा अर्चना और व्रत रखने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी।
कृत्तिका नक्षत्र – 12 अक्टूबर शाम 05 बजकर 10 मिनट से 13 अक्टूबर शाम 06 बजकर 41 तक
सिद्धि योग – 12 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से 13 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 53 मिनट तक
व्यातिपात योग [अशुभ समय] – 13 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से 14 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक।
करवा चौथ पर इस समय होगा चंद्रोदय, जानें शुभ मुहूर्त और शुभ योग
पूजा का शुभ मुहूर्त – 13 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 01 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 15 मिनट तक।
13 अक्टूबर के दिन 5 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक का समय करवाचौथ पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है. इसके बाद चंद्रोदय होने पर महिलाएं पति के साथ पूजा करके अपना व्रत खोल पाएंगी.
प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय
मुंबई 08:51 बजे
दिल्ली 08:12 बजे
बेंगलुरु 08:40 बजे
कोलकाता 07:39 बजे
मेरठ 08:09 बजे
आगरा 08:11 बजे
नोएडा 08:12 बजे
लखनऊ 08:02 बजे
गोरखपुर 08:00 बजे
मथुरा 08:12 बजे
सहारनपुर 08:10 बजे
रामपुर 08:02 बजे
फर्रुखाबाद 08:05 बजे
बरेली 08:03 बजे
इटावा 08:08 बजे
जौनपुर 08:01 बजे
अलीगढ़ 08:10 बजे
जयपुर 08:22 बजे
देहरादून 08:04 बजे
पटना 07:50 बजे
भोपाल 08:22 बजे
अहमदाबाद 08:54 बजे
अयोध्या 07:55 बजे
अजमेर 08:17 बजे
अमृतसर 08:15 बजे
इंदौर 08:31 बजे
कानपुर 08:04 बजे
कोटा 08:25 बजे
ग्वालियर 08:13 बजे
जयपुर 08:22 बजे
जोधपुर 08:33 बजे
झुंझुनूं 08:20 बजे
चंडीगढ़ 08:09 बजे
बिलासपुर 08:05 बजे
भोपाल 08:22 बजे
रोहतक 08:14 बजे
वाराणसी 07:55 बजे
सूरत 08:46 बजे
हरिद्वार 08:05 बजे
हिसार 08:17 बजे
करवा चौथ के दिन मां पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय, भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि इस शाम चंद्र देव की पूजा करने के साथ अर्घ्य देने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है। आइए जानते हैं करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, योग और महत्व।
करवा चौथ की थाली में जरूर शामिल करें ये चीजें
करवा चौथ के दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती और रात को चंद्र देव के दर्शन करने के बाद व्रत खोला जाता है। इस दिन करवा चौथ की थाली का बहुत अधिक महत्व है। इसका इस्तेमाल करके ही पूजा की जाती है। जानिए करवा चौथ की थाली में कौन-कौन सी चीजें होनी चाहिए।
क्यों जरुरी है मिट्टी का ही करवा
ज्योतिष के अनुसार करवा मिट्टी से बनता है और मिट्टी मंगल ग्रह का प्रतिक है और आकृति गोल होती है जिसको और उसकी गहराई को बुद्ध ग्रह का प्रतिक मानते है| उसमे पानी जो की चंद्रमा का प्रतिक है उसमें हम पानी भरकर चंद्रमा को देते है | इसका अर्थ है की अपने जीवन – साथी के जीवन के संकटों को दूर करने के लिए चंद्रमा से प्रार्थना करना | क्योकिं ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा मजबूत हो तो कुंडली के बहुत सारे कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते है |
करवी चौथ में मिट्टी का करवा सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। बाजार में आसानी से मिल जाता है। इसे लाकर इसमें चावल को पीस घोल बना लें और इसके चारों ओर लगा दें। अगर मिट्टी नहीं है, तो पीतल से बना करवा भी इस्तेमाल करना शुभ होता है। 2 करवा होना जरूरी है।
मिट्टी से बने 1-2 दीपक ले लें। इसके अलावा आटा से बना भी एक दीपक शामिल करें।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा को देखने के बाद पति को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे भी अपनी लिस्ट में शामिल करें।
करवा चौथ के दिन कांस की तीलियों का भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हें करवा के बने छेद में लगाया था। इस्तेमाल करने के बाद इन्हें रख लिया जाता है और गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाते समय शिखा पर इन्हें लगाया जाता है।
भगवान चंद्रमा को अर्घ्य करने के लिए थाली में एक लोटा जल भी जरूर रख लें। इसके साथ ही थोड़ा सा पानी गिलास में रख लें। जिसे पीकर ही व्रत खोलना शुभ माना जाता है।
थाली में सिंदूर जरूर शामिल करें। इसे चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही पूजा करने के बाद पति पत्नी की मांग में भरता है।
मिट्टी की पांच डेलियों को गौरी जी के रूप में पूजा जाता है। करवा चौथ की पूजा के दौरान इसका इस्तेमाल भी जरूर करें।
चंद्र द्रव को चढ़ाने के लिए अक्षत भी शामिल करें। थोड़ा सा अक्षत एक करवा में थोड़े से भर दें। इसके साथ ही एक सिक्का और थोड़ी सा आटे की लोई डाल दें।
चंद्र देव की पूजा करने के साथ करवा में डालने के लिए मिठाई जरूर मांगा लें।
इसलिए मनाई जाती है करवा चौथ, जानिए क्या है इस व्रत के पीछे छिपा कारण
मान्यताओं के अनुसार जब यमराज पतिव्रता सती सावित्री के मृत पति सत्यवान को लेने धरतीलोक पर आए थे। तब माता सावित्री ने यमराज से अपने पति को जीवनदान देने की प्रार्थना की थी। लेकिन यमराज अपने कर्तव्यों के आगे विवश थे इसलिए उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन सावित्री लम्बे समय तक अपने पति के मृत शरीर के साथ अन्न-जल त्याग कर बैठी रहीं और विलाप करती रहीं। अपने पति के प्रति ऐसा अपार प्रेम देखकर यमराज से रहा नहीं गया और उन्होंने सावित्री से वर मांगने के लिए कहा।
तब सावित्री ने उनसे कई बच्चों की मां बनने का वर मांगा। पतिव्रता होने के कारण यमराज को उनके हठ के आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवन दान दिया। तभी से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत का अनुसरण करती हैं और चन्द्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं।
करवा चौथ व्रत से एक यह कथा भी प्रचलित है कि जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या के लिए चले गए थे और पांडव समस्याओं का सामना कर रहे थे। तब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण से सहायता की गुहार की। इस पर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत रखने का सुझाव दिया। द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की बात मानी और इस व्रत का विधिवत पालन किया। इसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल तपस्या से वापस आए और सभी पांडवों की भी समस्याएं खत्म हो गई।
36 साल के बाद इस वर्ष बेहद शुभ और विशिष्ट योग में मनाई जायेगी करवा चौथ |
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