G-B7QRPMNW6J नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी
You may get the most recent information and updates about Numerology, Vastu Shastra, Astrology, and the Dharmik Puja on this website. **** ' सृजन और प्रलय ' दोनों ही शिक्षक की गोद में खेलते है' - चाणक्य - 9837376839

नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी

Jyotish With AkshayG

नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी 

नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी
नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी   

  

सनातन संस्कृति में सभी देवी देवताओं को महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि प्रत्येक देवी देवता एक दूसरे से अलग है और उनको प्रसन्न करने के लिए भी अलग-अलग मंत्र वर्णित किए गए हैं। 

नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी   

सनातन संस्कृति में सभी देवी देवताओं को महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि प्रत्येक देवी देवता एक दूसरे से अलग है और उनको प्रसन्न करने के लिए भी अलग-अलग मंत्र वर्णित किए गए हैं। 26 सितंबर 2022 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ सिद्ध स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। साथ ही उनसे सुख, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं सभी देवियों का महत्व और उन को प्रसन्न करने का मंत्र।

1.माता शैलपुत्री

नवरात्र के सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका जन्म पत्थर से होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री रखा गया था। पार्वती के रूप में यह भगवान शंकर की पत्नी भी है। इनका वाहन बैल है और यह दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल धारण करती है। इन को प्रसन्न करने का मंत्र है-

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।

वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

2.देवी ब्रह्मचारिणी

दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमल तो दूसरे में कमंडल रहता रहता है। शास्त्रों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या की जिसके के बाद इनका नाम तपश्चारिणी अथवा ब्रह्मचारिणी रखा गया। इनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इन को प्रसन्न करने का मंत्र है-

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

3.देवी चंद्रघंटा 

नवरात्र पर्व के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की विधिवत पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर अर्ध चंद्र विराजमान है और यह हाथों में खड़क, त्रिशूल, गधा, धनुष बाण, कमल इत्यादि धारण करती है। चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से मानसिक और आंतरिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही भक्तों को बहुत लाभ होता है। माता की पूजा के लिए मंत्र है-

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

4.देवी कुष्मांडा

शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। किंवदंतियों के अनुसार जिस समय सृष्टि में अंधकार था तब मां दुर्गा ने इस स्वरूप में ब्रह्मांड की रचना की थी। यही कारण है कि इन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है। देवी कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं और यह सिंह की सवारी करती है। सभी भुजाओं में चक्र, गदा, धनुष, कमंडल, धनुष बाण और कमल स्थापित है। देवी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र है-

सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।

5. देवी स्कंदमाता

नवरात्रि पर्व के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा विधि विधान से की जाती है। स्कंदमाता भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की मां हैं। माता के चार भुजाएं हैं। एक हाथ में उन्होंने अपने पुत्र कार्तिकेय को पकड़ा है अन्य तीन हाथों में उन्होंने कमल का फूल, वरद मुद्रा और श्वेत कमल धारण किया है। देवी स्कंदमाता सिंह की सवारी करती है और इनकी पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने का मंत्र है-

सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।

6. देवी कात्यायनी

दुर्गा पूजा के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इनकी पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनका रंग स्वर्ण के समान चमीला है और चार भुजाएं हैं। उनके हाथों में अभय मुद्रा, वर मुद्रा, खड्ग और कमल का फूल सुसज्जित हैं। माता कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं और इन्हें प्रसन्न करने का मंत्र है-

चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।

7. देवी कालरात्रि 

मां कालरात्रि को नवरात्र के सातवें दिन पूजा की जाती है। इन्हें सभी प्रकार की आसुरी शक्तियों को विनाश करने के लिए जाना जाता है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और चार भुजाएं हैं। माता अपने हाथों में खड्ग, लौह अस्त्र, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। इनकी आराधना करने से व्यक्ति सभी प्रकार के समस्याओं से छुटकारा पा लेता है। इन्हें प्रसन्न करने का मंत्र-

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

8. देवी महागौरी

नवरात्रि पर्व के आठवें दिन माता महागौरी की विधिवत पूजा की जाती है। माता बैल की सवारी करती हैं और इनका रंग भी गौर अर्थात सफेद रंग है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। चारों भुजाओं में माता महागौरी अभय मुद्रा, त्रिशूल, डमरू और वर मुद्रा धारण करती हैं। इनकी वंदना करने से सभी प्रकार के दुख और दर्द दूर हो जाते हैं और इन्हें प्रसन्न करने का मंत्र है-

श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।

महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।

9. देवी सिद्धिदात्री

नवरात्र पर्व के नौवें और अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माता के चार भुजाएं हैं जिनमें यह कमल, चक्र, गदा और शंख धारण करती हैं। देवी सिद्धिदात्री सिंह की सवारी करती हैं और इन को प्रसन्न करने का मंत्र है-

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

आदिशक्ति के नौ स्वरूपों के जपनीय मंत्र

1- शैलपुत्री -         ह्रीं शिवायै नम: ।।

2- ब्रह्मचारिणी -     ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।।

3- चन्द्रघंटा -         ऐं श्रीं शक्तयै नम: ।।

4- कूष्मांडा-         ऐं ह्री देव्यै नम: ।।

5- स्कंदमाता -     ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम: ।।

6- कात्यायनी -     क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम: ।।

7- कालरात्रि -      क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम: ।।

8- महागौरी -       श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम: ।।

9- सिद्धिदात्री -      ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: ।।
नवरात्रि पर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों पूजा उनके बीज मंत्रों के साथ करने पर होगी मनोकामना पूरी   


Download



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...