G-B7QRPMNW6J 59 साल बाद 24 सितंबर को बनने जा रहा ग्रहों का दुर्लभ संयोग जाने किस की चमकेगी किस्मत
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59 साल बाद 24 सितंबर को बनने जा रहा ग्रहों का दुर्लभ संयोग जाने किस की चमकेगी किस्मत

Jyotish With AkshayG

59 साल बाद 24 सितंबर को बनने जा रहा ग्रहों का दुर्लभ संयोग जाने किस की चमकेगी किस्मत

 

59 साल बाद 24 सितंबर को बनने जा रहा ग्रहों का दुर्लभ संयोग जाने किस की चमकेगी किस्मत
 59 साल बाद 24 सितंबर को बनने जा रहा ग्रहों का दुर्लभ संयोग जाने किस की चमकेगी किस्मत 

नवरात्रि से पहले 24 सितंबर को भी ग्रहों का एक बेहद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन शनि और बृहस्पति वक्री अवस्था में रहेंगे. कन्या राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग पहले ही बना हुआ है. 24 सितंबर को शुक्र रात्रि 09:12:03 पर  राशि परिवर्तन करेंगे, जो नीचभंग राजयोग बनाएगा. इसके अलावा, भद्र राजयोग और हंस राजयोग का भी निर्माण होगा. साथ ही कन्या राशि में बुध, सूर्य और शुक्र का त्रियोग बनने वाला है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा ग्रहों का दुर्लभ संयोग 59 साल बाद बना है. पांच राशि के जातकों के लिए ये संयोग बेहद शुभ माना जा रहा है.

भद्र योग कब बनता है

बुध ग्रह से बनने वाला योग भद्र नामक पंच महा पुरुष योग कहलाता है. बुध से बनने वाले इस योग में जातक बौद्धिक योग्यता और अच्छी ज्ञान शक्ति को पाता है. पांच महापुरुष योगों में से एक योग है भद्र योग, यह योग बहुत ही शुभ योगों की श्रेणी में आता है तथा इस योग से युक्त व्यक्ति धन, कीर्ति, सुख-सम्मान प्राप्त करता है.

जन्म कुण्डली में जब बुध स्वराशि (मिथुन, कन्या) में हो तो यह योग बनता है. साथ ही बुध का केन्द्र में होना भी आवश्यक होता है. कुछ शास्त्र इसे चन्द्र से केन्द्र में भी लेते है. यहां केन्द्र से मतलब होगा कि जन्म कुण्डली का पहला भाव, चौथा भाव, सातवां भाव, दसवां भाव जिसमें बुध अपनी ही स्वराशि में अगर बैठा हुआ है तो कुण्डली में भद्र नामक योग बनता है. इसके अतिरिक्त कुछ ग्रंथों के अनुसार चंद्र कुडली से भी इसी प्रकार अगर बुध 1,4,7,10 भाव में अपनी राशि का बैठा हुआ हो तो भद्र नामक योग बनता है. भद्र योग अपने नाम के अनुसार व्यक्ति को फल देता है.

भद्र योग का करियर के क्षेत्र में प्रभाव

भद्र योग का विशेष गुण व्यक्ति में कौशलता को उभारने का होता है. व्यक्ति अपनी भाषा शैली से दूसरों पर प्रभाव जमाने में सफल होता है. जातक काफी प्रभावशाली और अपनी जीवन शैली जीने में उन्मुक्तता चाहने वाला होता है. व्यक्ति अपने चातुर्य से काम निकलवाने में भी माहिर होता है. अपने जीवन में अपने इसी कौशल को अपना कर जिंदगी को जीता है. जातक एक प्रतिभाशाली शिक्षक हो सकता है या एक प्रभावशाली कथा वाचक भी बन सकता है.

मुख्य रुप से जातक संचार जैसे क्षेत्र में अपनी पैठ जमा सकता है. उसकी काबिलियत को इस स्थान पर ही पहचाना जा सकता है और वह निखर कर सामने आती भी है. एक प्रकार के सलाहकार के रुप में अथवा लेखन और बोलने में योग्य जैसे की पत्रकारिता के क्षेत्र में संवाद कर्मी के रुप में कानून के क्षेत्र में जज या वकालत के कार्य में आगे बढ़ सकता है. भद्र योग में जन्मा जातक व्यवहार कुशल और लोगों के मध्य प्रसिद्ध भी होता.

हंस योग कैसे बनता है

हंस योग बृहस्पति से बनने वाला पंच महापुरुष योग भी है. बृहस्पति को ज्योतिष में सबसे अधिक शुभ ग्रह कहा गया है, इस कारण इस इससे बनने वाले योग की शुभता को समझने में अधिक देर नहीं लगती है. जन्म कुण्डली में गुरु जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है अगर केन्द्र भाव में, चतुर्थ भाव में, सातवें भाव में या फिर दसवें भाव में अपनी राशि में स्थित हो या फिर उच्च राशि का बैठा हुआ हो तो कुण्डली में हंस योग का निर्माण होता है.

इस योग को चंद्र कुण्डली से देखें तो चंद्र से अगर केन्द्र, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम भाव में गुरु इसी स्थिति में अपनी राशि या उच्च राशि का हो तो हंस योग बनता है. हंस योग के कारण जन्म कुण्डली में मौजुद कई खराब योग समाप्त हो जाते हैं.

हंस योग के प्रभाव

हंस योग जातक को समाज में एक अच्छे पद को देने में सहायक बनता है. व्यक्ति लोगों के मध्य लोक प्रिय बनता है. व्यक्ति में सही - गलत का निर्णय करने की योग्यता होती है. वह व्यक्ति उत्तम कार्य करने वाला व उच्च कुल में जन्म लेने वाला होता है.

यह योग व्यक्ति में निर्णय योग्यता में बढोतरी करता है. बृहस्पति की स्वराशि धनु और मीन राशि हैं और कर्क राशि में बृहस्पति उच्च का होता है. अपनी राशि में होने के कारण बृहस्पति का प्रभाव अधिक हो जाता है. इसका शुभ प्रभाव जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है. आध्यात्मिक विकास भी होता है.

गुरु ग्रह संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थान, धन, दान, पुण्य का कारक होता है. दांपत्य जीवन में सुख का कारक भी यही बनता है. परिवार में भाई बंधुओं और संतान की वृद्धि आदि का कारक होता है. ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति अगर जन्म कुण्डली में अच्छी शुभ अवस्था में बैठा हुआ है तो इसके प्रभाव से जातक के मुश्किल रास्ते भी खुल जाते हैं और बिना रुकावटों के काम बनते जाते हैं. जातक के अंदर सात्विक गुणों का संचार होता है और वह गलत मार्ग से दूर रहता है.

वृषभ राशि- 

ग्रहों के इस दुर्लभ संयोग के चलते वृष राशि के जातकों को व्यापार में लाभ होगा. धन लाभ और व्यापार में विस्तार के योग बनेंगे. नई योजनाएं फलदायी रहेंगी. अचानक हुए धन लाभ से मन प्रसन्न रहेगा. कर्ज में दिया रुपया भी वापस आ सकता है.

मिथुन राशि- 

मिथुन राशि में हंस नाम का राजयोग बन रहा है. इस राशि वालों को करियर और व्यापार के मोर्चे पर जबरदस्त लाभ मिल सकता है. नौकरी में भी कोई बड़ा पद मिल सकता है. पार्टनर के भाग्य से धन लाभ होगा. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलेंगे. मान-सम्मान में वृद्धि होगी.

कन्या राशि- 

कन्या राशि के जातकों के लिए भी ये संयोग शुभ रहने वाला है. नौकरी-व्यापार में तरक्की के योग बनेंगे. इस राशि में शुक्र नीचभंग राजयोग का निर्माण कर रहा है, जिसके चलते अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है. लंबे समय से रुके कार्य भी पूरे हो सकते हैं. निवेश के लिए भी समय बहुत शुभ रहेगा.

धनु राशि- 

धनु राशि में हंस, नीचभंग और भद्र नाम के राजयोग बन रहे हैं. व्यापारिक दृष्टिकोण से समय आपके लिए शुभ रहेगा. इस दौरान तकदीर चमकाने वाला प्रस्ताव भी आपको मिल सकता है. व्यापारिक मामलों में यात्राएं लाभ देंगी. घर-परिवार में भी खुशी का माहौल बना रहेगा.

मीन राशि- 

मीन राशि वालों की कुंडली में शनिदेव लाभ के स्थान पर बैठे हुए हैं. साथ ही इस राशि में नीचभंग राजयोग और भद्र नामक राजयोग बन रहा है. इसके चलते आपको नौकरी में नए अवसर मिल सकते हैं. पैसों की बचत होगी. तनख्वा में भी इजाफा हो सकता है. आय के स्रोत बढ़ेंगे. व्यापारिक दृष्टिकोण से भी ये राजयोग बहुत शुभ माने जा रहे हैं.


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